ये मोसाद MI6 और सीआईए का फेलियर है


 "ये मोसाद MI6 और सीआईए का फेलियर है के वो लोग बस ये देखते रहे के ईरान के पास नुक्लेअर काबलियत क्या है, उनके साइंटिस्ट कौन मारने हैं फौजी कौन मारने हैं,

मगर ये नहीं देखा के ईरान की मिलिट्री कपाबिलिटी कितनी है काउंटर स्ट्राइक करने की। 

आज जो ईरान हमले कर रहा है ये ना मोसाद ने सोचा था ना सीआईए ने ना अमेरिकी आर्मी ने, और अब सब बगले झाँक रहे हैं। 

मैंने अपनी ज़िन्दगी में देखा है के बम गिराने से हम किसी से कुछ नहीं मनवा पाते हैं, मैंने खुद कई युद्धों में हिस्सा लिया है,

लोगों से अपनी बात मनवाने के लिए हमें ज़मीन पर उतरना पड़ेगा जैसा के हम इराक़ में उतरे थे,

मगर ईरान में उतरने को लेकर मेरी जिस से भी बात हुई है अमेरिकी मिलिट्री के कर्नल इत्यादि से सबका कहना है के बहुत बड़ी गलती होगी,

और अगर हम ये गलती करते भी हैं तो भी हासिल उतना ही होगा जितना इराक़ या अफ़ग़ानिस्तान में हुआ था,

एक जगह तो वापस उन्ही को सत्ता दे आये थे। 

इसलिए मैं suggest नहीं करता इस युद्ध को। "


-- लॉरेंस विल्कर्सन, एक्स-चीफ ऑफ़ स्टाफ, अमेरिकी आर्मी